
माथे की बिंदिया भी तुम
जागी सी निंदिया भी तुम
मीठी सी बोली भी तुम
प्रीतम की होली भी तुम
राखी बन कलाई भी तुम
घर की दिया सलाई भी तुम
पिता की लकड़ी भी तुम
ससुर की पगड़ी भी तुम
माँ की लोरी भी तुम
मन्नत की डोरी भी तुम
चुलबुल सी मैना भी तुम
रातो की रैना भी तुम
कठोर कभी सरल भी तुम
शायर की ग़ज़ल भी तुम
करती खुद को अर्पण तुम
जीवन का समर्पण तुम
वीणा की तान भी तुम
कुल का सम्मान भी तुम
रात भी तुम सविता भी तुम
कवि की कविता भी तुम
राजा की रानी भी तुम
कोयल की वाणी भी तुम
सृष्टि का कमाल भी तुम
सुर भी तुम ताल भी तुम
देवी की शक्ति भी तुम
मीरा की भक्ति भी तुम
जीवन के हल पल में तुम
त्रिकोण में तुम समतल में तुम
तुमसे जीवन पुरुषों का जारी
सृष्टि की अलौकिक कृति तुम नारी
#मन घुमक्कड़
Happy women’s day to all respected women
You are welcome, dear Yogesh.
With friendly greetings from
Olivia Eva Maria!
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Such a wonderful poem as a greeting for the International women’s day!
Thank you, dear Yogesh.
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It means a lot! Thank you so much ma’am.🙏🙏🌻
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You are weocome, dear Yogesh.
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