
इन हाथो ने उन कदमों के पत्थर उठाएं हैं
ये छाले इन हाथों में यूँ ही नही आये हैं।।
वो दीवारें बिन सहारे अब गिरने लगी
दूर कहीं कोई नई इमारते बनाये हैं।
इन हाथो ने उन कदमों के पत्थर उठाएं हैं
ये छाले इन हाथों में यूँ ही नही आये हैं।।
उनकी ख़ामोशी ही उनकी जहालत हो गयी
तजुर्बे हैं, ये बाल धूप में नही पकाएं है।
(जहालत=मूर्खता,अज्ञानता)
इन हाथो ने उन कदमों के पत्थर उठाएं हैं
ये छाले इन हाथों में यूँ ही नही आये हैं।।
वो पेड़ जिसे सींच कर बड़ा किया
परदेशी पंछी उनमे अब घर बनाए हैं।
इन हाथो ने उन कदमों के पत्थर उठाएं हैं
ये छाले इन हाथों में यूँ ही नही आये हैं।।
लाड़ली की शादी में खुद गिरवी हो गए
रिश्तों की खरीद-फरोख्त की ये कैसी प्रथाएं है।
इन हाथो ने उन कदमों के पत्थर उठाएं हैं
ये छाले इन हाथों में यूँ ही नही आये हैं।।
जिस घर की चाहत में छोड़ा अपनो को
वह घर ही अब काटने को आये है।
इन हाथो ने उन कदमों के पत्थर उठाएं हैं
ये छाले इन हाथों में यूँ ही नही आये हैं।।
जिनके सहारे गुजरा बचपन उनका
उन हाथों को बेसहारा छोड़ आये है।
इन हाथो ने उन कदमों के पत्थर उठाएं हैं
ये छाले इन हाथों में यूँ ही नही आये हैं।।
#मनघुमक्कड़
We need to be thankful for helping hands. What would we do without them?
Thank you for this interesting poem, Yogesh. All the best to you.
LikeLiked by 2 people
Absolutely ! thank you so much ma’am, it means a lot🙏🙏🌻
LikeLiked by 1 person
You are most welcome, Yogesh. 🌻
LikeLiked by 2 people
🙏🙏🌻
LikeLiked by 1 person
🌻 🌻 🌻 🌻
LikeLiked by 2 people
Yogesh, you are really good with presenting hard core facts of life in a poetic way!
LikeLiked by 2 people
It is very inspiring to hear your kind words ma’am.🙏🙏🌻 It means a lot! Thank you so much 🙏😊
LikeLiked by 2 people
Excellent poem…a fact of life!!
LikeLiked by 2 people
It means a lot! Thank you very much ma’am.🙏🌻
LikeLiked by 3 people