
बे-मुक़म्मल से कुछ ख़यालों में रहता है
ये दिल रोज़ चंद सवालों में रहता है
दबी दबी सी कुछ ख्वाहिशें दिल की फिर भी
औरों के लिए कभी मंदिर कभी मज़ारों में रहता है।।
बे-मुक़म्मल से…
ये दिल….
हर रिश्ते के अलग मायने है जीवन मे
सबके लिए ये दिल अलग क़िरदारों में रहता है।।
बे-मुक़म्मल से…
ये दिल….
कोशिशों बाद भी बच्चे नेक न बन सके
ताउम्र वह पिता गुनाहगारों सा रहता है।।
बे-मुक़म्मल से…
ये दिल….
पतझड़ में तो पंछी भी शाखों पे नही होते
वो पंछियों का ठिकाना तो बहारों में रहता है।।
बे-मुक़म्मल से…
ये दिल….
रोज़ छत से गली के बच्चों को निहारता
वो शख्श जो ऊँची मीनारों पे रहता है।।
बे-मुक़म्मल से…
ये दिल…
जीवन की उधेड़बुन में खुद को खोज रहा
वो जो दर्पण से बनी दीवारों में रहता है।।
बे-मुक़म्मल से…
ये दिल….
कोई रोज शाम गले को तर करके
जैसे बिछड़े यारों के फ़सानो में रहता है।।
बे-मुक़म्मल से…
ये दिल….
खाने के लिए ज़िन्दगी खड़ी है सड़कों पे
अब तो मरना भी क़तारों में रहता है।।
बे-मुक़म्मल से…
ये दिल….
शराफत में मयख़ाने लोग घर ले आये
अब संस्कार सिर्फ क़िताबों में रहता है।।
बे-मुक़म्मल से…
ये दिल….
जुमलेबाजी सियासत की तालीम हो गयी
यहां बेईमान भी ईमानदारों में रहता है।।
बे-मुक़म्मल से…
ये दिल….
काश फिर से वह बचपन लौट आये
जिनमें प्यार दया सौहार्द नज़ारो में रहता है।।
बे-मुक़म्मल से कुछ ख़यालो में रहता है
ये दिल रोज़ चंद सवालों में रहता है
#मन घुमक्कड़
हर रिश्ते के अलग मायने है जीवन मे
सबके लिए ये दिल अलग क़िरदारों में रहता है।।…..loved it.
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Thank you so much🙏🙏🌻
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बहुत सुंदर
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Thank you so much 🙏🙏🌻🌅😊🤗
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Bhut khoob yogesh!!!
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Thank you very much abhishek!!🙏🙏 always your encouragement gives me the energy to write better. 🙏🌻💐💐🎆😊🤗
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बेहतरीन अभिव्यक्ति 👏👏👏👏
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Thank you so much ma’am.It means a lot!🙏🙏🌅🌻
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