
ये कपकपाते हाथ
ये ठिठुरते बदन
फिर भी ख्वाहिशें कपड़ों की नही
बस रोटी की अभिलाषा है….
#मन घुमक्कड़
ये कपकपाते हाथ
ये ठिठुरते बदन
फिर भी ख्वाहिशें कपड़ों की नही
बस रोटी की अभिलाषा है….
#मन घुमक्कड़
धूप में बैठे
या घर में कैद रहे
सर्द हवाएं तुम्हारी यादों की तरह
हर जगह पहुँच जाती है…….
#मन घुमक्कड़