जिसके घर चूल्हे में आग सुलगी, वहीं आग मिलता है,
ज्यादा अमीर हों उनके घर भीख नही दान मिलता है,
भीख मजबूरी में मांगते,
और दान लोग मतलब से बांटते,
जख्म कम लगेगा अपना
कभी जो जख्मी उनसे मिलकर देखना,
क्या पता दवा वहीं मिल जाए
जो दवा की भींख मांग रहे
कभी मिलकर देखना।
👌👌👌
Thank you so much🙏🌻🎆
यहाँ तो अपने भी मुँह फेर लेते है एक वक़्त के बाद
जमाना तो वही है साहब बस इंसानियत गुम है ….☺
👌👌👌
Thank you for your kind comment ma’am 🙏 😊🌻🎆
Welcome ….
जिसके घर चूल्हे में आग सुलगी, वहीं आग मिलता है,
ज्यादा अमीर हों उनके घर भीख नही दान मिलता है,
भीख मजबूरी में मांगते,
और दान लोग मतलब से बांटते,
जख्म कम लगेगा अपना
कभी जो जख्मी उनसे मिलकर देखना,
क्या पता दवा वहीं मिल जाए
जो दवा की भींख मांग रहे
कभी मिलकर देखना।
मतलबी जमाना है
नफरतों का कहर है
दुनिया दिखाती शहद है
पिलाती जहर है…😊🎆
खूबसूरत पंक्तिया 👌👌,आभार आपका सर🙏
🙏🙏