मोहब्बत का तराना….

महफ़िल में मोहब्बत का तराना गुनगुनाया
फिर एक चेहरे में चेहरा पुराना याद आया

जो कभी मुक़म्मल न हो सकी उस कहानी सी
रोज सुनकर न रही यादे भी पुरानी सी
हर शाम दिन के ढलते पंजों की थपकियों के साथ
हमे फिर उसका वो गुनगुनाना याद आया

रोज अपने दिल को हम है समझाते
तेरी बेवफ़ाई के बहाने उसको बतलाते
पर तुम बेवफ़ा नही हो यह जानते थे हम
फिर तेरा वादा करके न आना याद आया

न कोई ख़्वाहिश में हम बेकरार हुए
जब भी मिले रिश्तों में फासला सा रखा
जहाँ भी रहो आबाद रहो इल्तिज़ा यही रब से
जब कभी दुआ में मुझे तू याद आया

अबके नज़र भी आये तो नज़रांदाज करना
अब हमको भी नज़रों में बैठा रखता है कोई
इस से पहले की भटक जाते ईमान से हम भी
हमें भी अपना बार-ए-ख़ुदाया याद आया

मेरे लिए अपना सब छोड़ बैठा कोई
थे उसके भी अरमान फिर भी ख़ुदको है समेटा कोई
नज़र हटा जब करने लगे उस हमसफ़र को याद
तब उस शक़्स में ही हमे ख़ुदाया याद आया

फिर महफ़िल में मोहब्बत का तराना गुनगुनाया
फिर एक चेहरे में चेहरा पुराना याद आया…..

#मन घुमक्कड़

Published by: Yogesh D

An engineer, mgr by profession, emotional, short story/Poem writer, thinker. My view of Life "Relationships have a lot of meaning in life, so keep all these relationships strong with your love"

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