
यारों से जब मिलना , मुकर्रर हुआ
बरसों बाद देख के , हैरत में पड़ गए
थी आवाजों में तब्दीली , चेहरे बदले हुए
सोचे तो थे मिलके , तुरंत लौट आएंगे
मिलकर के सब यारों से , इरादे बदल गए
मुझको देख कर यार कुछ , शर्मिंदा से हुए
आंखे भीगा के बोले के , फिर जिंदा हम हुए
वह सोचे कि पहले जैसे , वो नही रहे
हम सोचे कि ऐ यार , कहीं हम तो न बदल गए
मैं आज भी वही हूं , और तुम भी वही हो
न हमने ग़ुरूर रखा , न तुमको गुमा हुआ
ज़िम्मेदारियों में हम , मशरूफ़ यूँ हुए
कि समुंदर से जीवन के , किनारे बदल गए
आज देखा दूर से , उस विद्यालय को जब
टूटी हुई छत के नीचे दिखे , बच्चे पढ़ते हुए
ग़र कमाया ज़िन्दगी में तो , इतना तो कर सकें
जहाँ बैठ पाई विद्या , हम उसको ढक सकें
इस ज्ञान से ही हमारे हैं , सितारे बदल गए
जिसने बनाया क़ाबिल , उसे देख आऊँ मैं
उन फ़रिश्ते के चरणों , को छू तो पाऊँ मैं
कुछ तो बीमारी में न , पहचान सके हमें
और कुछ गले लगा के , क़िस्मत बदल गए
जा रहे थे इबादत पे , गाड़ी मोड़ आये हम
इबादत वहीं अपनी , जहाँ हो यारों का ज़म
फिर नदी के किनारे , कुछ पल हम बिताएं
दिल आज भी करे कि , संग उनके दौड़ जाएं
पर क्या करें कुछ यार तो जवां हैं, कुछ के घुटने बदल गए
#मन घुमक्कड़