
वीर जवानों की कुर्बानी,
देखो व्यर्थ न जाने पाये
इस धरती में उस मुल्क का,
कतरा भी न आने पाये
गलवान घाटी पर एक माँ ने,
एकलौता बेटा खोया
एक बाप छुपाकर अपना चेहरा,
सिसक सिसक रोया
पति के जाने की ख़बर से,
बीबी का कलेजा टूट गया
एक नवजात बेटी के सर से,
पिता का साया छूट गया
यह युद्ध नही था जिसको,
हम भारतवासी जायज़ मानें
छल से वार किया था फिर भी,
दुगनो की ले ली थी जानें
हमारे विश्वास को हर मंजर में,
अब तक था वो कुचल रहा
देश का सैनिक हर शहीद का,
अब बदला लेने मचल रहा
उस मुल्क की इस धरती से,
दिखावेकीदोस्ती अब थम जाएं
जिस भाषा मे वह समझे,
अब उसको उसमे समझाए
आँखे दिखाकर उसको अब,
सीधे सीधे ही समझाओ
अब ये पुराना भारत नही,
जिसको तुम डरा पाओ
#मन घुमक्कड़
बहोत… बहोत.. खूबसरत रचना लिखी है👏👏👍
Thank you so much for your valuable comments sir🙏🙏
आक्रोश भरी कविता। खूबसूरत।👌👌
Thank you for your valuable word sir🙏🙏
स्वागत आपका।🙏
Nice patriotic poetry 👌👌
Thank you very much🙏
Jai Hind
Jai hind.. 🙏