मैं नही आऊंगा…

मैं तेरे दर पे नही आऊंगा
रोज़ तेरे सामने बैठकर ही चला जाऊंगा
मैं तेरे दर पर नही आऊंगा..

न सर पर छत है न दीवार है कोई
ये कैसा जीवन दिया तुमने

न खाने का ठिकाना न कपड़े है बदन पे
आख़िर क्यों ऐसे हालातों में पैदा किया तुमने

इससे अच्छा तो मैं पहले ही मर जाता
जिंदा रहकर भी जिंदा कहाँ किया तुमने

हर बच्चें का अपना परिवार है यहाँ
मुझे इतनी भीड़ में अकेला क्यूं किया तुमने

शिकायत ही तो कर सकता हूं तुझसे मौला
कोई रहमगर भी तो नही दिया तुमने

लावारिस हूं सड़क में ही एक दिन मर जाऊंगा
पर मेरे मालिक, मैं तेरे दर पे नही आऊंगा..

मैं तेरे दर पे नही आऊंगा..

मैं तेरे दर पे नही आऊंगा..

#मन घुमक्कड़

Published by: Yogesh D

An engineer, mgr by profession, emotional, short story/Poem writer, thinker. My view of Life "Relationships have a lot of meaning in life, so keep all these relationships strong with your love"

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