बेज़ुबान माँ….

बेज़ुबान को मारकर तू

खुद को बहादुर कहता है

हक़ीक़त में तो तेरे ही अंदर

एक जानवर रहता है

क्यूँ मारा तूने उस माँ को

तेरा हृदय नही चेता होगा

एक बेटा माँ न देख सका

किसी माँ का तू भी बेटा होगा

वह हृदय नही है पत्थर है

जिसमे करूणा न वास करे

इनकी क्रूरता दानवों जैसी

जिससे जंगली जानवर भी डरे

इन्ही हरकतों से इंसा की

यह जानवर रूष्ट हो जाते हैं

फिर यहीं क्रूरता वह इंसा पर

आदमखोर बन के दिखाते हैं

इंसा भी अब बन ही गया

एक आदमखोर जानवर सरीका

फिर भी जानवरों से न सीखा उसने

प्यार, स्नेह, ईमानदारी का तरीका

#मन घुमक्कड़

Published by: Yogesh D

An engineer, mgr by profession, emotional, short story/Poem writer, thinker. My view of Life "Relationships have a lot of meaning in life, so keep all these relationships strong with your love"

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