तेरी कृपा..

बिन तेरी कृपा हम कैसे,
ये बुरा वक़्त बिताएं..
सबको चाहे भूल भी जाएं,
ऐ मालिक तुझे कैसे भुलाएं।।
इतना तो करम प्रभु करना हमपे,
कोई जब मदद को बुलाए..
हमे न दिखे छोटा बड़ा,
बस कदम हमारे उठ जाएं।।
वायरस ने हैं पैर पसारे,
इस सुंदर चमन पर..
न जाने कितनी और जाने,
जाएंगी अब वतन पर।।
बढ़ते मामले, मरते लोग,
कोरोना के नाम से ही अब सब डरे..
फ़िर भी अपना कर्तव्य निभाने,
देखो वॉरियर अडिग खड़े।।
सामाजिक दूरी हमे बनानी,
पर बीमार भी इंसान है..
दूर से ही सही मगर हमको,
उसका भी रखना मान है।।
इंसान को वायरस से अब,
सावधानी ही बचा पाएगी..
वैक्सीन बन जाये इसकी,
जानें वह घड़ी कब आएगी।।
हम जितना भी वैज्ञानिक हों लें,
पर तुझपे ही आकर रुक जाते हैं..
इस विपदा में जब कुछ न सूझे,
तेरे नाम से शक्ति पाते हैं।।
बस करम तू इतना करना मौला,
ये संकट अब टल जाए..
एक नया सवेरा नया उजाला,
इस धरती पर आए।।
इस संकट से सबक लेकर हम,
फिर अपने वतन से प्यार करें..
फ़िजूल खर्चों पर रोक लगाएं,
गरीब, मजदूर का सम्मान करें।।
#मन घुमक्कड़

Published by: Yogesh D

An engineer, mgr by profession, emotional, short story/Poem writer, thinker. My view of Life "Relationships have a lot of meaning in life, so keep all these relationships strong with your love"

4 Comments

4 thoughts on “तेरी कृपा..”

  1. सार्थक,प्रेम,मानवता से ओतप्रोत बेहतरीन रचना।
    दुखद वक़्त है सबको समझना होगा,
    नफरतों से ऊपर उठ,
    इंसानियत के लिए लड़ना होगा।

    Liked by 1 person

    1. बस यूंही चले जा रहे थे हम
      फिर समझने वाले कुछ लोग मिले
      तो लगा कि राह भी सही है…
      आपका बहुत बहुत आभार

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