Posted on May 26, 2020May 28, 2020मोहब्बत…. ये सफ़र मोहब्बत का बड़ा ही सुहाना है ना इसकी कोई मंजिल,ना कोई बहाना है मोहब्बत करो तो, हौसला रखो यारों, ये दरिया है आग का, और पार भी पाना है क्यों करते हैं मोहब्बत में, शोर-शराबा आशिक़ यह फ़साना तो, निगाहों में बयां होता है जिसमें वादे टूटे, साथी छूटे, तो वह मोहब्बत कैसी ग़र फ़ाज़िल प्यार में हम हो जायें, तो हमसफ़र में ही खुदा होता है।। (फ़ाज़िल= सच्चरित्र) #मन घुमक्कड़ Share this:TwitterFacebookLike this:Like Loading...