यारों के दिल की….

साथ चले थे सफ़र में कुछ यार झूम के..
मंजिलें आती गयीं और यार कम होते गए
इस भागदौड़ की जिंदगी में, कुछ पल अपने हम भी चुरायें
आओ दोस्तों फिर एकबार, फूल दोस्ती का हम खिलायें
सभी ने मंजिल तो पाई है,फिर न जाने कैसी एक तन्हाई है
दिल कहता है कि काश फिर वह सफ़र शुरू हो पाये
आओ दोस्तों फिर एकबार, फूल दोस्ती का हम खिलायें
सब पुराने यार मिलें और वापस पीछे जायें
यादें जो वृद्ध हो चली,फिर से उनको जवां कर आयें
आओ दोस्तों फिर एकबार, फूल दोस्ती का हम खिलायें
फिर यारों की महफ़िल जमें, कुछ क़िस्से फिर से गुदगुदाए
बैठ चौकड़ी मार, कुछ उनकी सुनें कुछ अपनी सुनाएं
आओ दोस्तों फिर एकबार, फूल दोस्ती का हम खिलायें
जिन जगहों के पल थे प्यारे, वापस उन जगहों मे जायें
ट्रिपल सीट बैठकर सड़कों पर, फिर से आओ धूम मचायें
आओ दोस्तों फिर एकबार, फूल दोस्ती का हम खिलायें
सफलता के लिए जहाँ नाक थी रगड़ी, फिर से उसी मंदिर जायें
उसी चाय ठेले की रेलिंग से, मामा स्पेशलचाय चिल्लाए
आओ दोस्तों फिर एकबार, फूल दोस्ती का हम खिलायें
न जाने कल क्या हो जायें, हो सकता है हम मिल न पायें
माना व्यस्थता बहुत है सबकी, क्यों एक प्रयत्न किया जायें
आओ दोस्तों फिर एकबार, फूल दोस्ती का हम खिलायें
बच्चे भी अब बड़े हो चले, क्यों न हम भी बच्चे बन जायें
बुढ़ापे में लाफिंग क्लब में न रहें, चलो ऐसी युक्ति कर आयें
आओ दोस्तों फिर एकबार, फूल दोस्ती का हम खिलायें
#मन घुमक्कड़

Published by: Yogesh D

An engineer, mgr by profession, emotional, short story/Poem writer, thinker. My view of Life "Relationships have a lot of meaning in life, so keep all these relationships strong with your love"

10 Comments

10 thoughts on “यारों के दिल की….”

  1. साथ चले थे सफ़र में कुछ यार झूम के..
    मंजिलें आती गयीं और यार कम होते गए।

    मगर मन की दूरियाँ ना बढ़ी। यादें अब भी ताजी है।
    खूबसूरत रचना।

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  2. एकाध रचना हमारे कॉलेज आने जाने पर भी हो तो हम शब्दों के साथ पुराना सफर भी याद कर लेंगे
    सभी रचनाएं सराहनीय है बहुत ही बढ़िया चित्रित किया है आगामी भविष्य के लिए शुभकामनाए
    आपका
    हॉट जोन

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