Posted on May 17, 2020May 17, 2020 क्वालिटी टाइम… नदियाँ उज्जवल, पर्वत उज्जवल, उज्जवल यह धरा हो गयी इंसान क्या कैद हुए घरों में पावन ये हवा हो गयी…. इस लॉक डाउन ने रिश्तों के मायने सिखाये हैं कुछ रिश्ते फिर पास आये, कुछ ने झगड़े बढ़ाये हैं फिर एक बाप बेटी संग खेला,एक बेटे ने दाल बनाई है कहीं पति ख़ानसामा बना, कहीं पत्नी गीत सुनाई है कोई घर मे डांस सीख रहा, कोई कागज़ में तस्वीर उकेरे है कहीं रोज नए व्यंजनों के मजे, कहीं रोटी के फ़ेरे हैं कहीं बूढ़े माँ बाप की शुभ घड़ी आ गयी जब बहुबेटे के रूप में उनकी छड़ी आ गयी अंताक्षरी में लोगो की सुबह से शाम हो गयी दोस्तों रिश्तेदारों में वीडियोकॉल भी अब आम हो गयी फिर घर की खुशहाली में रहकर हम क्यों हो रहे बोर वहीं दुःख सहकार इस सुख को पाने, मजदूर लगा रहा ज़ोर #मन घुमक्कड़ Share this:TwitterFacebookLike this:Like Loading... Related
बिल्कुल प्रकृति निखर रही है। कितना जुल्म हुआ है हमसे। मगर क्या हमने माना? खूबसूरत रचना। LikeLiked by 2 people Reply
उम्दा।
LikeLiked by 1 person
Thanks a lot ma’am 🙏😊🎆
LikeLike
बिल्कुल प्रकृति निखर रही है। कितना जुल्म हुआ है हमसे। मगर क्या हमने माना?
खूबसूरत रचना।
LikeLiked by 2 people
Thank you so much
LikeLike
Bahut sundar
LikeLiked by 2 people
Thank you abhishek ji
LikeLiked by 1 person