Posted on February 13, 2019 by Yogesh Dक़ामयाबी का मंज़र….. चाहे कितनी डगर बुरी हो पर हमको चलना ही है, जैसे रात बड़ी भले हो, मगर दीपक को जलना ही है। मत सोचो की इन छालों से तुमको चलना दूभर होगा, ये सोच की उस क़ामयाबी का मंज़र कितना सुंदर होगा। # मन घुमक्कड़ Share this:TwitterFacebookLike this:Like Loading... Related
It’s true… nice…
Thanks