ये कहानी शुरू होती है, कॉलेज गोइंग दोस्तों के किराये के मकान से, जहाँ उनकी लाइफ रोज की तरह हँसते खेलते,लड़ते झगड़ते गुज़र रही थी, लेकिन उन दिनों उनके रूम में आकर दूसरे और साथी बहुत आश्चर्य चकित होते थे। जहाँ एक रूम में रहकर लड़के अपने चीजें शेयर नहीं कर पाते थे और वही वो दोस्त खुली क़िताब की तरह रहते थे। अगर किसी एक को भी कुछ लेना होता था, तो सब उसके साथ ही जाते थे। उन सभी मे बॉन्डिंग बहुत अच्छी थी। एक रोज एक मित्र के साथ उन सभी की मुलाकात हमारी कहानी के हीरो से हुई।
ये शख्श एक मस्तमौला जिंदगी जीने वाला लड़का था। उन सभी दोस्तों की खुशमिजाज लाइफ को देखकर वो उनसे खुद को दूर नही कर पाया, और उसका, उनके रूम आने का सिलसिला शुरू हो गया।
धीरे धीरे सभी को भी उसकी आदत हो गयी अब कोई भी पार्टी उसके बगैर अधूरी थी। उन सभी के बीच उसी के पास बाइक हुआ करती थी, जिस पर पेट्रोल कभी नही होता था, जब कभी किसी को कहीं जाना होता उसे पेट्रोल खुद भरवाना पड़ता था। यही कारण था कि और लोग भी कि.मी. के हिसाब से पेट्रोल भरवाते थे। बाकी सब दोस्त तो पढ़ ही रहे थे, लेकिन ये ही सिर्फ प्राइवेट कंपनी में काम करता था, और सबसे ज्यादा कड़का भी यही रहता था। उन सभी को उससे इतना अपनापन हो गया था कि सभी उसको “मामा” कहके बुलाते थे, अब वो उन्ही के साथ रहने लगा था और धीरे धीरे उन सभी यारों का मामा बन गया था…….
वह जिंदा दिल इंसान हमेशा ऊँचे ऊँचे ख्वाब रखता था, कभी कहता मामा एक दिन विदेश जाना है, कार लाना है। कभी कभी तो उसके ख्वाबों के समंदर में और दोस्त भी गोते लगाकर, वापस अपनी दुनिया मे लौट आते थे। वह पार्टी के लिए हमेशा तैयार रहता था, आप सिर्फ जगह बताओ बंदा टाइम पे हाज़िर, लेकिन उसके बिना पार्टी में मज़ा भी नही आता था। डांस तो पूरे एक्सप्रेशन के साथ होता था, दोस्त की शादी में साला इतना नाचा था कि सब थक गए, पर वो नही थका था। रूम पे चाहे किसी का भाई आये या दोस्त वो मामा को जरूर याद रखता था।
जब कभी दोस्तों की महफ़िल लगती तो उसमें उसकी मौजूदगी उस महफ़िल को और ख़ुशगवार बना देती थी। सुनील शेट्टी का “ये धरती मेरी माँ है……साहब” वाला डायलॉग हो या फ़िल्म वेलकम का ” मेरी एक टांग नकली है, मैं हॉकी का बहुत बड़ा खिलाड़ी था….” का पूरा डायलॉग उसके मुँह से, सब सुनना चाहते थे, वह क्रिकेट भी अच्छा खेलता था।
रूम पर आते ही किचन पर पहुँच जाता था, और देखता की कुछ खाने को है कि नहीं, उसे बस चाँवल मिल जाय, तो उसका काम हो जाता था। किसी के भी काम के लिए हमेशा तैयार रहता था। किसी का बर्थडे उसके बिना होता नही था। एक दफ़ा उसके बर्थडे में भी दोस्तों ने रात तक उसको विश नही किया था, खूब कोशिश की थी उसने याद दिलाने की, फिर रात में उसको जगाकर सरप्राइज़ दिया था तो रोने सा हो गया था साला।
कभी घर की बातें शेयर नहीं करता था, हाँ कभी उसके किसी अंकल के यहाँ लेके जाता था और वहाँ भी नीचे दोस्त को वेट करने का बोल खुद मिल आता था, कहता था कि ये मेरे पिता के मित्र है और इनकी लड़की मुझे पसंद है और शायद उसे मैं भी। कुछ समय बाद तो उसके पास सिर्फ नेटवर्क बिज़नेस की ही बातें रहती थी, जब भी मिलता बस अपना बिज़नेस ही बताता था पर दोस्तों पर उसकी एक नही चलती थी, उनके प्रश्नों से चुप भी हो जाता था। उसका रुझान नेटवर्क बिज़नेस में ही था, शायद इसलिए उसकी नौकरी भी ठीक से चल नही रही थी।
अब वो दिन भी आ गया था उन दोस्तो का अलग होने का, सब अपने काम मे व्यस्त हो गए थे। अब मिलना भी कम हो गया था। बस किसी की शादी में ही मुलाकातें होती थी। लाइफ तेजी से बढ़ रही थी, अब तो सबका शहर भी छूट गया था। अब मिलना सिमटकर सोशल मीडिया में रह गया था। सभी एक दूसरे को फ़ॉलो करते थे।
मामा से मिले काफी दिन हो गए थे, किसी से संपर्क नही कहाँ है, क्या कर रहा, कुछ पता नही था, तभी अचानक एक रोज उसकी शेयर की फ़ोटो देख दिल खुश हो गया, उसमे उसके विदेश यात्रा की तस्वीरें थी, अब उसने एक कार भी ले ली थी। यह देख दोस्तों का दिल खुश हो गया था और सभी ने उसे लाइक कर, कमैंट्स भी दिए थे। पर उससे बात किसी की नही होती थी, किसी अन्य दोस्त के माध्यम से ही खबर लगती थी, संपर्क कम हो गया था। फिर पता चला कि उसने वही पुरानी जॉब फिर जॉइन कर ली है, फिर उसकी स्थिति वैसे ही हो गयी है। सभी दोस्तों को बुरा लगता था सुनकर, लेकिन सब अपनी जिम्मेदारियों की उलझनों में जकड़ से गये थे।
काफ़ी दिन बाद एक मित्र ने उसके साथ पिक्चर शेयर की तब पता चला कि वो अब गाँव आ गया है और आयुर्वेदिक खेती शुरू कर दी है, खबर मिली तो खुशी हुई, अब फिर उससे संपर्क शुरू हो गया था, उसने अपनी शादी में भी सभी को बुलाया था पर सभी मित्र जा नही पाए थे। जब भी कोई मित्र पोस्ट करता वो लाइक और कमेंट जरूर करता था। लगभग साल भर बाद उसका फ़ोन एक मित्र को आया कहा कि मैंने एक कंपनी जॉइन की है, इस बार तेरे शहर के पास ही हूं, दोस्त खुश हो गया उसने कहा मामा आजा भाई बहुत दिन हुए तुझसे मिले, बोला अब तो तुम्हारे शहर में ही हूं आता हूं जल्द ही।
साला वो नही आया, दस दिन बाद ख़बर मिली कि उसको अटेक आया है, सब डर गए, कंफर्म किया तो पता चला कि मामा अब कभी नही आयेगा। सभी दोस्तों के पैरों तले जमीन निकल गयी, ये क्या हो गया भगवान अभी तो उसकी शादी हुई थी, इतना खुश था वो, विश्वास करना मुश्किल था। उससे अंतिम बार तो मिलना है, सोचकर दोस्त उसके घर पहुँचे, उसकी यात्रा में ऐसा हुजूम, मानो पूरा गाँव उलट पड़ा हो। साला ऐसे लग रहा था, मानो सो रहा है। लोगो ने बताया कि ये उसका दूसरा अटेक है, तो लगा कि हम सब अपनी लाइफ में ऐसे कितने व्यस्त हैं, की एक दूसरे की ख़बर ही नही रख पाते है। उसको कांधा देते समय दोस्त के हाथ काँप रहे थे। वही सुना कि वो बाप भी बनने वाला था, तो उसकी धर्मपत्नी के बारे में सोचकर सबका दिल बैठ गया था। उसके पिता दोस्त के गले लगकर रोये थे, पिता के दर्द की कल्पना ही नही की जा सकती जिसका जवान बेटा चला गया हो। ये पल बहुत दुःखद था। भगवान ऐसी स्थिति किसी के भी साथ न हो। हम सब ने अपना दोस्त खोया है, मगर उसकी यादें सदैव हमारे दिलों में जिंदा रहेगी।
दोस्तों अपना ख़याल रखो, स्वस्थ्य रहो, व्यसनों से दूर रहो, गाड़ी धीमे चलाओ, क्योकि आप का कोई अपना बड़ी शिद्दत से आपकी राह देख रहा है……..
Aaj ke is profetional zamane me itne saaaf dil k blogs mushkil se hi milte hain.
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Thank you so much
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Wo dost hamara kabhi nhi aayega ab
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