नेक इरादे

आज से लगभग 20 वर्ष पूर्व बच्चों के लिए इस तरह का वातावरण नही था, जो कि आज बना हुआ है। आज हम अपने बच्चों को लेकर बहुत फिक्रमंद रहते हैं, और हो भी क्यों न देश में माहौल ही ऐसा बना हुआ हैं कि हमारी फिक्र जायज़ हैं। हमारा बच्चों के लिए सज़ग रहना बहुत जरूरी हो गया है। देश में युवा आगे तो बढ़ रहा है, पर नैतिकता कहीं पीछे छूट रही हैं अब शायद हमें फिर से उसी नैतिक शिक्षा की आवश्यकता पड़े।

ये कहानी भी उसी समय की है। दो घनिष्ठ मित्र थे, दोनों के घर भी अगल बगल ही थे। उनके घरों में ऊपर एक एक कमरा अलग से बना हुआ था, जिसमें बैठकर और डब्बे से धागा लगा टेलीफोन बनाकर उनकी बातें होती थी। उस समय की सुबह के मजे कुछ और ही थे, सूरज को उगते देखना कोई अदभुत नज़ारे से कम नही होता था, आज बच्चों में सूर्य उदय को लेकर जिज्ञासा दिखाई ही नही देती परंतु उन बच्चों में बहुत थी। रोज सुबह उठकर नित्यकर्म के उपरांत उन्हें सिर्फ मित्र से ही मिलना होता था। गाँव से पक्की राजमार्ग सड़क गुज़रती थीं बस उसी सड़क में आगे बढ़ते बढ़ते वो सुबह की सैर करते थे।

उस दिन रोज की तरह वो दोनों सुबह की सैर पर गए हुए थे । दोनों गाँव के बड़ो को नमस्कार करते हुए, उछलते कूदते गाँव से काफी आगे निकल आये थे और अब वापस जल्दी जल्दी गाँव की तरफ बढ़ने के लिए तेज चल रहे थे कि तभी अचानक दोनों को एक आवाज सुनाई देती है, कुत्ते के रोने की जो कि सड़क के किनारे लगे जंगल की ओर से आ रही थी, एक बार नज़र अंदाज़ करने के बाद उन्होंने वहाँ जाकर पता करना ठीक समझा और खुद को वहाँ जाने से रोक नही पाए। पता चला उस स्थान पर एक बड़े से गड्ढे में एक बड़ा कुत्ता गिरा पड़ा था, उसका एक पैर टूट भी गया था शायद इसी वज़ह से वह अपनी पूरी ताकत नही लगा पा रहा था।

दोनों मित्र उम्र में बमुश्किल 9 वर्ष के होंंगे परंतु बेजुबान को तड़पता देख दोनों को रहा नही गया और वे उसको बचाने की जुगत करने लगे। उम्र छोटी थी पर उनके हौसले बड़े थे, जब सब करके वो हार गए तो दोनों ने एक दूसरे की ओर देखा, फिर अपने कपड़ों को देख हँसकर जमीन पर लेट गए, एक मित्र दूसरे का पैर पकड़ा हुआ था तो दूसरा कुत्ते के नज़दीक पहुँचकर उसका पैर पकड़ने की कोशिश कर रहा था, कुत्ते को ये अहसास हो गया था कि ये सब उसे बचाने के लिए किया जा रहा है इसलये वह भी अपना पैर आगे किये जा रहा था। कुत्ते का पैर हाथ मे आ जाने पर ऊपर लेटा मित्र पूरा जोर लगाकर खीचने का प्रयास करने लगा, परंतु कुत्ता भारी था उसे ऊपर खींचने में उन्हें दिक्कत हो रही थी तभी कुत्ते ने भी ऊपर आने के लिए अपना जोर लगाया बस फिर क्या था दोनों ने पूरी ताकत से उसे ऊपर खींच लिया।

उन दोनों को उसे निकालने के बाद ऐसा लगा मानो कोई बड़ी परीक्षा पास कर ली हो। कुत्ता कुछ देर उन दोनों को देखता रहा फिर एकाएक अपने तीन पैरों से तेजी से भागा। यह देखकर दोनों मित्र बहुत खुश हुए दोनों के कपड़े जरूर गंदे थे, परंतु स्वच्छ मन मे प्रसन्ता भारी पड़ी थी । इस कहानी में काल्पनिकता नही है। परंतु आज के माहौल में ये कहानी काल्पनिक मानी जायेगी जहाँ इंसान, इंसान के प्रति मानवीयता नही दिख पा रहा, तो इन बेज़ुबान जानवरों पर क्या दिखायेगा ?….

कभी विचार ही नही आया कि इंसान इतना नीचे गिर जाएगा। दरअसल,हरियाणा के मेवात में एक बकरी से कथित तौर पर आठ लोगों द्वारा बलात्कार किये जाने की घटना ने मुुुझे झकझोर दिया। हमारे देश मेें इस तरह के आमानवीय सोच वाले कुछ ही प्रतिशत लोग हैं, ज्यादा संख्या इन्ही दोनों मित्रो के जैसे लोगों की है जिनमें मानवीयता, इंसानियत अभी जिंदा है, जरूरत बस उसे जगाने की है। दोस्तों सावधान रहो, हो सकता हैै की आपके थोड़े जागरूक रहने पर, कहीं कोई बच्ची, महिला या फिर कोई बेज़ुबान खुद को सुरक्षित महसूस कर सके।

Published by: Yogesh D

An engineer, mgr by profession, emotional, short story/Poem writer, thinker. My view of Life "Relationships have a lot of meaning in life, so keep all these relationships strong with your love"

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